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अघोर दीक्षा

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हमारे यहॉ पर अघोर दीक्षा दी जाती है जो साल में एक बार दी जाती है अघोर दीक्षा केवल कुछ खास चुनिंदा शिष्यो को ही दी जाती है इसकी दीक्षा तीन दिन तक चलती है तीन दिन तक अघोरी को यहीं आसरम पर ही रहना पडता है और तीनो दिन भस्म लगाकर रखनी पडती है अघोर दीक्षा मे अघोरी को सप्त मकार का पालन करना पडता है ये हर अघोरी का अनिवार्य नियम है ग्रहस्थ आश्रम मे रहने वाले पहले से दीक्षित साधक ये अघोर दीक्षा ले सकते है इसकी कुछ शर्ते निम्न प्रकार होती है इन शर्तो को मानने पर ही अघोर दीक्षा दी जाती है 1 . अघोर दीक्षा केवल शिव , काली , भैरव , हनुमान के उपासको को ज्यादा उचित रहती है सात्विक पूजन करने वाले दूर रहें 2 . मल मूत्र से घृणा ना हो 3. मल ना खाये चलेगा मगर स्वमूत्र पीना अनिवार्य होगा 4. सराब का और मॉस का सेवन करना आवश्यक है 5. निवस्त्र होने मे कोई लाज और शर्म नही होनी चाहिये 6. अघोर दीक्षा तीन दिन मे पूर्ण होगी तीनो दिन यहॉ चिता भस्म को सरीर पर लगाकर रखना होगा 7. अघोर साधना मे सभी साधना तीव्र , उग्र ,तामसिक घोर तामसिक , समसान मसान वाली है 8 . साधक पूरी तरह से निर्भय होना चाहिये 9 . अघोर मे गुरू पर पूरी कट्टरता से श्रदा और विश्वास किया जाता है इसको ठीक से पालन करें 10 . अघोर दीक्षा के लिये साधक का पहले कम से कम दो तीन साल का तंत्र मे किसी गुरू से दीक्षित होना जरूरी है तंत्र की बेसिक नॉलेज होना बहुत जरूरी है जो दो तीन साल से साधना रत है वही इसके योग्य है 11. चार घंटे का आसन अत्यावश्यक है 12 . साधक साधना क्षेत्र मे कुछ बडा करना चाहता हो तभी ये अघोर दीक्षा ले नही तो रहने दे 13. अघोर दीक्षा का शुल्क 21000/ रूपये है 14. ये दीक्षा तभी ले जब पूरी तरह से तैयार हो नही तो इस दीक्षा का कोई फल प्राप्त नही होगा ये अघोर दीक्षा शिविर मई माह मे रखा जाता है हरेश सम्प्रदाय हरेश पंथ के प्रवर्तक परखम अखाडे से शिवनाथ अघोरी उर्फ तॉत्रिक हरेश कुमार गुरूजी
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