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कुंडलिनी जागरण

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हम लोगो ने कुंडलिनी के बारे मे बहुत कुछ पढा होगा सुना होगा मगर सच्चाई शायद ही किसी ने बतायी हो हमारा शरीर दो हिस्सो मे विभक्त है एक सूक्ष्मशरीर दूसरा स्थूल शरीर ये दोनो एक दूसरे के पूरक है और एक जैसे ही होते है तो जैसे स्थूल शरीर के हाथ पॉव अंगुली चेहरा आदि अंग होते है वेसे ही रीढ की हड्डी भी होती है उसी तरह से सूक्ष्म शरीर के भी ये हाथ पॉव चेहरा आदि अंग होते है और रीढ की हड्डी भी होती है तो कुंडलिनी के सातो चक्र उस सूक्ष्म शरीर की रीढ की हड्डी मे होते है यानि सातो चक्र सूक्ष्म शरीर के अंदर होते है स्थूल शरीर मे ये चक्र नही होते है लेकिन जब हम स्थूल शरीर के उस अंग पर ध्यान करते है तो अनजाने मे ही हमारा ध्यान सूक्ष्म शरीर के उस अंग पर भी चला जाता है और फिर होता है चमत्कार हमारे यहॉ कुंडलिनी क्या है ये कैसे जगती है इसकी शक्ति क्या है कहॉ से आती है कैसे काम करती है ये सब विस्तार से बताया जाता है समझाया जाता है और फिर कुंडलिनी जागरण करवाया जाता है हमारे यहॉ निम्न चीजे सिखायी जाती है 1. कुंडलिनी क्या है 2. सूक्ष्म शरीर की सरंचना 3. स्थूल शरीर की सरंचना 4. सातो केन्द्र के स्थान कहॉ है 5.दिव्य प्रकाश की अनुभूति करवाना 6. सहस्त्रार चक्र जागरण 7. आज्ञा चक्र जागरण 8. विशुद्धि चक्र जागरण9. अनाहत चक्र जागरण 10. मणिपूर चक्र जागरण 11.स्वाधिष्ठान चक्र जागरण 12. मूलाधार चक्र जागरण 13.पूर्ण कुंडली जागरण 14. तन मन पूर्ण रूप से वश मे करना 15. किसी का भी भूत भविष्य वर्तमान जानना 16. अन्य सिद्धयॉ प्राप्त करना 17. थर्ड आई यानि तृतीय नेत्र जागरण ये सब आप सीखसकते है सीखने के इच्छुक हमे सम्पर्क करें
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